भारतीय किसान यूनियन इंडिया: लेख
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 60% से अधिक आबादी आज भी खेती-किसानी पर निर्भर है। लेकिन क्या हमारी कृषि नीतियाँ वाकई किसानों के हित में हैं?
इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए हमें देखना होगा कि सरकार की नीतियाँ, बजट, और योजनाएं ज़मीन पर किस हद तक लागू हो रही हैं — और किसान तक उनका लाभ पहुंच रहा है या नहीं।
🇮🇳 भारतीय किसान यूनियन इंडिया (Bhartiya Kisan Union India) का नजरिया
भारतीय किसान यूनियन इंडिया (Bhartiya Kisan Union India) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहलवान मुनेन्द्र गुर्जर का कहना है:
“नीति बनाना आसान है, लेकिन असली परीक्षा तब है जब वो किसान के खेत तक पहुँचे। किसान को भाषण नहीं, समाधान चाहिए।”
उनका मानना है कि नीतियाँ सिर्फ रिपोर्ट और फाइलों में नहीं, किसान के जीवन में बदलाव लाने के लिए होनी चाहिए।
📜 वर्तमान किसान नीतियों की समीक्षा
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- MSP की घोषणा हर फसल पर होती है, लेकिन अधिकतर किसान बाजार में कम रेट पर मजबूरी में फसल बेचने को मजबूर हैं।
- ज़रूरत है कि MSP को कानूनी गारंटी मिले।
2. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
- ₹6,000 सालाना मदद अच्छी पहल है, लेकिन यह बिजली, बीज, खाद, और सिंचाई के खर्चों के आगे नगण्य है।
- इसे ₹12,000–₹15,000 सालाना तक बढ़ाने की माँग यूनियन द्वारा की जा चुकी है।
3. फसल बीमा योजना
- बीमा कंपनियों को फायदा और किसानों को क्लेम मिलने में देरी — यह आम समस्या है।
- पहलवान मुनेन्द्र गुर्जर ने इसे “कागज़ी सुरक्षा” कहा है और पारदर्शिता की मांग की है।
🔍 नीतिगत सुधारों की माँग – यूनियन के प्रमुख बिंदु
मुद्दा | प्रस्तावित सुधार |
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MSP | कानून बनाकर अनिवार्य किया जाए |
बिजली | किसानों को 24×7 मुफ्त या सस्ती दर पर बिजली |
कर्ज़ माफी | छोटे और मंझोले किसानों के लिए नियमित राहत योजना |
बीमा | सरकारी निगरानी में सीधी क्लेम प्रक्रिया |
मंडी व्यवस्था | E-NAM और स्थानीय मंडियों में संतुलन |
महिला किसान | विशेष योजनाएं और ऋण सुविधा |
📣 “नीतियों में नहीं, ज़मीन पर दिखे विकास” – पहलवान मुनेन्द्र गुर्जर
“जब तक किसान को उसकी मेहनत का पूरा मूल्य नहीं मिलेगा, तब तक नीति सफल नहीं मानी जा सकती।”
(Bhartiya Kisan Union India) राष्ट्रीय अध्यक्ष पहलवान मुनेन्द्र गुर्जर ने हर राज्य में ग्राम स्तरीय किसान नीति समीक्षा समिति गठित करने की माँग की है ताकि नीतियों की असली स्थिति गांवों से सामने आ सके।
🤝 यूनियन का आह्वान
सभी किसानों से अनुरोध है कि वे नीतियों को समझें, आवाज़ उठाएं और संगठित हों।
भारतीय किसान यूनियन इंडिया (Bhartiya Kisan Union India) हर ज़िले में “नीति जागरूकता अभियान” चलाने जा रही है।
यदि आप चाहते हैं कि नीति में आपकी बात पहुंचे, तो यूनियन से जुड़ें और किसान पंचायतों में भाग लें।